वेद वाणी 24.04.24
🌼🌼 ।।ओ३म्।। 🌼🌼 🙏 24.04.24 वेद वाणी🙏 अनुवाद महात्मा ज्ञानेंद्र अवाना जी द्वारा, प्रचारित आर्य जितेंद्र भाटिया द्वारा 🙏🌼 उशन्ति घा ते अमृतास एतदेकस्य चित्त्यजसं मर्त्यस्य। नि ते मनो मनसि धाय्यस्मे जन्युः पतिस्तन्वमा विविश्याः॥ ऋग्वेद १०-१०-३॥🙏🌼 यमी कहती है कि वंश को दीर्घायु रखने वाला मनुष्य चाहता है कि प्रत्येक नश्वर व्यक्ति कम से कम…
 





 
 












 











